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मा -2 / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>

मा
कदी नीं गई
इस्कूल
पण
पढल्यै
गीता, रामायण
हड़मान चाळीसौ
अर
सगळै भगवानां री
आरत्यां

मा
बतावै
कै
बा
बरतन मांजती टैम ई
पढ-लिख लेंवती
सगळा आँक

उण टैम
कुण पढांवतौ
छोरियां नै

थाळी
हुंवती पाटी
अर
आँगळी बणती
बरतौ।
</poem>
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