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परम्परा / दुष्यन्त जोशी

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|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
जवानी में
मा अर बापू
टाबरां सूं
बात नीं करै

तद टाबर
आपरै जवानपणै में
मा-बापू सूं
बात नीं करै

इण में
आपां
टाबरां नै
नीं कै' सकां
कसूरवार

क्‍यूं कै
टाबर तो
आपरी
परम्परा निभावै।
</poem>
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