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{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुप्रिया
|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मा घणकरी सी बार
तंदरुस्त नीं रैवै
तद भी
निभावै नेम-काइदा
न्हा’र ढाळै गडियौ
सूरज जी नै
अर पाणी सींचै
तुळछी में
पछै बड़ै रसोई में
अर
गा-कुत्तै सारू
बणावै अेक-अेक रोटी
मिंदर में
ठाकुर जी
अर पीतर जी रै भी
अेक-अेक रोटी साथै
घी-खांड रौ
लगावै भोग
मा बतावै
कै भौत जरूरी है
अै नेम-काइदा
घर में बरकत सारू।
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
मा घणकरी सी बार
तंदरुस्त नीं रैवै
तद भी
निभावै नेम-काइदा
न्हा’र ढाळै गडियौ
सूरज जी नै
अर पाणी सींचै
तुळछी में
पछै बड़ै रसोई में
अर
गा-कुत्तै सारू
बणावै अेक-अेक रोटी
मिंदर में
ठाकुर जी
अर पीतर जी रै भी
अेक-अेक रोटी साथै
घी-खांड रौ
लगावै भोग
मा बतावै
कै भौत जरूरी है
अै नेम-काइदा
घर में बरकत सारू।
</poem>