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काळीबंगा : दोय / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=सपनां संजोवती हीरां / ॠतुप्रिया
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<poem>
थेहड़ में मिली
सुहागणां री
भांत-भंतीली
रंग-रंगीली चूड़्यां
अर मोती मिणियां

कदी सज-धज’र
बै रिझांवती
आपरै रांझै नै
अर
कदी करती बजारिया

सपनां संजोवती हीरां
लागै
भथूळियै साथै बै’गी

का पछै
बणगी दीखै थेहड़
आपरै रांझै साथै।

</poem>
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