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|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बाप रो
प्रण पाळण
वन गया राम
चवदै बरसां सारू
अवध सूं।
पड़दो गिरग्यो।
(दरसाव बदळण खातर।)
कोनी बावड़्या राम
पाछा
अजै लग
जुग बीतग्या।
(पड़दो हाल तांई कोनी उठ्यो!)
</poem>
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बाप रो
प्रण पाळण
वन गया राम
चवदै बरसां सारू
अवध सूं।
पड़दो गिरग्यो।
(दरसाव बदळण खातर।)
कोनी बावड़्या राम
पाछा
अजै लग
जुग बीतग्या।
(पड़दो हाल तांई कोनी उठ्यो!)
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