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{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
नहर नैं गुमेज है
कै उणरै नांव माथै बसग्यो
अेक भरयो-पूरो गांव
चक चौबीस पी.बी.अेन.।
राज रै कागदां
अर जन रै काळजै
बस्योड़ो ओ गांव
सोधीज सकै
गूगल मेप री मारफत
देस-दुनिया में कठैई बैठ्यां!
नांव टाळ
कांई रैवै लारै
गयां पछै
नहर नैं थावस है
इतियास रै आंगणै
ओ गांव
रुखाळैला उणरै नांव नैं
जुगां तांई।
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
नहर नैं गुमेज है
कै उणरै नांव माथै बसग्यो
अेक भरयो-पूरो गांव
चक चौबीस पी.बी.अेन.।
राज रै कागदां
अर जन रै काळजै
बस्योड़ो ओ गांव
सोधीज सकै
गूगल मेप री मारफत
देस-दुनिया में कठैई बैठ्यां!
नांव टाळ
कांई रैवै लारै
गयां पछै
नहर नैं थावस है
इतियास रै आंगणै
ओ गांव
रुखाळैला उणरै नांव नैं
जुगां तांई।
</poem>