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सागै सारू / मदन गोपाल लढ़ा

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|संग्रह=चीकणा दिन / मदन गोपाल लढ़ा
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<poem>
सागै सारू
फगत दो मारग है।

पैलो
कै आप खाथा पगां
चाल'र नावड़ लेवो
आगै जावणियां नैं
का पछै
थावस सूं उडीको-
कै कदास
कोई लारै सूं
आय पूगै
आपरै सागै सारू।
</poem>
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