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Kavita Kosh से
1. अर्जुन प्रण
सूरज अस्त तांय
जयद्रथ वध ।वध।
2. भाग्य निर्णय
दुर्योधन बोललै
वीर कर्ण सें ।सें।
3. मूर्ख अर्जुन
आपनों सर्वनाश
प्रण करि केॅ ।केॅ।
4. सुअवसर
भाग्योदय सूचक
चुकोॅ नै कर्ण ।कर्ण।
5. रण कुशलता
परिचय देय केॅ
तोरोॅ परीक्षा ।परीक्षा।
6. बड़ी थकलोॅ
भीम साथें युद्धों में
कर्ण बोललै ।बोललै।
7. सौंसे शरीर
घावोॅ सेॅ छै भरलोॅ
तैय्योॅ तैयार ।तैयार।
8. तोरो उद्देश्य
पूरा करै खातिर
हम्में जीवित ।जीवित।
तांका
1. आवाज होलै
पांचजन्य शंखोॅ के
रथ हाजिर ।हाजिर।
दारूक सारथी छै
सात्यकि सवार छै ।छै।
2. घोराक्रमण
सात्यकि करलकै
कर्ण ऊपर ।ऊपर।
बड़ी कुशलता सें
युद्ध तत्परता सें ।सें।
3. रण कौशल
देखै लेॅ देवता तेॅ
जौरोॅ नभ में ।में।
घोड़ा आरु सारथी
कर्ण के मरैलोॅ छै
4. रथ के ध्वजा
कटी केॅ धरती पेॅ
पल भर में ।में।
रथोॅ चकनाचूर
तैय्योॅ जोश भरपूर ।भरपूर।
5. कर्ण चढ़लै
दुर्योधन रथोॅ पेॅ
शस्त्र प्रहार ।प्रहार।
छै युद्ध घमासान
अर्जुन परेशान ।परेशान।
6. अर्जुन ऐलै
जयद्रथ के पास
क्रोधोॅ में आग ।आग।
अभिमन्यु के वध याद
नै सुनै परियाद ।परियाद।
7. गांडीव धनु
भयंकर टंकार
प्रार्थ प्रहार ।प्रहार।
महाकाल समान
शत्राु सेना हैरान ।हैरान।
8. विख्यात योद्धा
जयद्रथ भी छेलै
डटले रहै ।रहै।
हराना सुगम नै
युद्ध खतम भी नै ।नै।
9. अस्ताचल में
सूरज केॅ देखी केॅ
आनन्द होलै ।होलै।
दुर्योधन मनों मे
वू विफल क्षणों में।
10. अंधेरा छेलै
लागै सूर्य डूबलै
कानाफूसी होलै
जयद्रथोॅ नै मरलै ।मरलै।
11. कौरव सेना
खुशी सेॅ माती गेलै
सूर्यास्त होलै ।होलै।
पार्थ विफल होलै
जयद्रथ बचलै ।बचलै।
12. कृष्ण बोललै
सूर्य डूबलोॅ
मतर छै उगलै
सेना शांत हो गेलै ।गेलै।
13. मौका नै छोड़ोॅ
दुवारा तेॅ नै ऐथौं
प्रण निभावोॅ ।निभावोॅ।
कान में बात ऐलै
गांडीव वाण छुटलै ।छुटलै।
14. उड़लै सिर
जाय गिरलै
वृद्ध क्षत्रा के गोदी
देखै नजर खोली ।खोली।
15. वू घबराय
उठै धड़फड़ाय
भू पै गिराय ।गिराय।
वृद्ध क्षत्रा के सिर
सौ टुकड़े में थिर ।थिर।
16. विजय घोष
पांडवे शंख फूकै
ध्वनि सुनी केॅ ।केॅ।
युधिष्ठिर आनन्द
कौरव दल मंद ।मंद।
17. पांडव सेना
द्रोण पर टूटलै
चौदहवां दिन ।दिन।
तेॅ रात भर युद्ध
छै नियम विरुद्ध ।विरुद्ध।
कुंडलियाँ-
जयद्रथ केॅ बचाय लेॅ, रहलै कर्ण भरोस ।भरोस।परीक्षा में फेल होय, कर्ण खुशी न परोस ।परोस।कर्ण खुशी न परोस, लगाय जान के बाजी ।बाजी।जहाँ कृष्ण मायावी, व्यंर्थ वीर सेना साजी ।साजी।उल्लंघन विधि नियम, अभिमन्यु वध भीमों रथ ।रथ।अधर्म के जोर सेॅ, ‘राम’ बधैलै जयद्रथ ।जयद्रथ।
युधिष्ठिर केॅ जीवित हाजिर करैलेॅ
दोहा-
अभिमन्यु के मरला पर पांडव शोक मनाय
द्रौपदी छेलै व्याकुल, कौरव अति हरसाय ।हरसाय।
चौहदवां दिन अर्जुन सेॅ दुर्योधन परेशान
1. ठंडा दिमाग
चतुराई भरलोॅ
कर्ण निर्भय ।निर्भय।
2. भीमसेन में
अमानुषिक बल
पगला जोश ।जोश।
3. लहू के धार
घाव भरलो तन
जोशीला मन ।मन।
ताँका-
1. कर्ण के रथ
तेॅ तहस नहस
भीमसेन ने ।ने।
घोड़ा मारलकै
धनुष काटलकै ।काटलकै।
2. भागलै कर्ण
दोसरोॅ रथ चढ़ै
कांति विलुप्त ।विलुप्त।
चेहरा क्रोधानल
छुब्ध बाड़वानल ।बाड़वानल।
3. कर्ण धुनष
फेरु कटिये गेलै
सारथी गिरलै ।गिरलै।
कर्ण ‘शक्ति’ प्रयोग
भीमें रोके के उद्योग ।उद्योग।
4. कर्ण हालत
दयनीय ‘दुर्जय’
भीम सामना ।सामना।
भीमसेन क्रोधित
‘दुर्जय’ भूलुंठित ।भूलुंठित।
5. रथ टूटलै
अन्य रथ सवार
फेनु भिड़लै ।भिड़लै।
कर्ण बाण चललै
भीम क्रोध भरलै ।भरलै।
6. भीम प्रहार
रथ, घोड़ा, सारथी,
ढेर हो गेलै ।गेलै।
ध्वजा भी तेॅ टुटलै
विरथ हो लड़लै ।लड़लै।
7. भाई ‘दुर्मुख’
दुर्योधन के आज्ञा
ऐतैं घायल ।घायल।
कवच फाटी गेलै
दुर्मुख मृत होलै ।होलै।
8. आँख आंसू सेॅ
भरलै, कर्ण शांत
पैनों बाण से ।से।
कर्ण कवच टुटलै
असह्य पीड़ा होलै ।होलै।
9. बाणों के वर्षा
कर्णें तेॅ करलकै
भीम घायल ।घायल।
तैय्योॅ कर्णों ऊपर
बाण वर्षा सें तर ।तर।
10. घाव सेॅ पीड़ा
दिल व्यथा भरलोॅ
असह्य होलै ।होलै।
मैदान सें हटलै
भीम जय बोललै ।बोललै।
दोहा-
कर्ण सुनलकै भीम सें, बड़ी खुशी जय घोष
जागलै अभिमानी कर्णों के, स्वाभिमानी सह जोश ।जोश।
जैतैं-जैतैं लौटले, लड़ाई के विचार
मैदान में डटी गेलै, तजी घाव उपचार ।उपचार।
कर्ण केॅ हारतें देखि, दुर्योधन पछताय
दुर्मद, दुःसह, दुर्द्धष, लड़े भीम से जाय ।जाय।
पाँचोॅ कौरव कर्ण केॅ, करलकै घोर बचाव
भीम पर टूटी पड़लै, तीखोॅ बाण भेजाव ।भेजाव।
कुंडलिया-
गुस्सा होलै भीम केॅ, पाँच भेज यमलोक
ई देखी केॅ कर्ण केॅ मन में होलै शोक ।शोक।
मन में होलै शोक, कठिन युद्ध करेॅ लागलै
भीम बाण बौछार, अश्व, सारथी मरि गेलै ।गेलै।
रथ विहीन कर्ण ने, युद्ध बनैलकै खिस्सा
कर्ण गदा केॅ रोकि, भीम देखैलकै गुस्सा ।गुस्सा।
भीम बाण बौछार सेॅ, कर्ण मानलक हार
पीठ दिखाय केॅ भागै, होलै शोक अपार ।अपार।
होलै शोक अपार ऐलै सात कर्ण सहाय
रण कुशलता विलक्षणे, देलकै निन सुताय ।सुताय।
कर्ण आँखी में आँसू, मुँहों पर क्रोध असीम
अन्य-रथ-कर्ण ‘राम’, भयानक पराक्रम भीम ।भीम।
दोहा-
अठारह धनुष कर्ण के, भीमें काट गिराय
कर्ण सतर्कता, शान्ति, पल में गेल हेराय ।हेराय।
उत्तेजित हो कर्ण ने, करै भयानक वार
रथ, सारथी, भीम के, टुटि भेल तार-तार ।तार।
असीम क्रोधी भीम जी, हो कर्ण रथ सवार
रथ केरोॅ ध्वज स्तम्भ सेॅ, कर्ण करै झट वार ।वार।
भीम नीचें कुदि गेलै, गजों घूसी बचाय
ओटोॅ सें विलच्छन रण, कर्ण केॅ नै दिखाय ।दिखाय।
निहत्था तेॅ जानी केॅ, कर्ण छोड़लक भीम
माय वचन याद होलै, मूरख पेटू भीम ।भीम।
कृष्णें भीमों केॅ देखि, अर्जुन केॅ बतलाय
क्रोध करी केॅ अर्जुन ने, गांडीव धनु चलाय ।चलाय।
कर्ण लाचार होय केॅ, युद्ध सेॅ हटी जाय
अर्जुन, भीम, कृष्ण आदि, दुर्योधन मन दुखाय ।दुखाय।
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