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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
क्या अच्छा, क्या बुरा सफ़र है चलना है।
मिलें फूल या मिलें शूल क्या कहना है।
अपनी ताक़त को पहचानो शान्त रहो,
दरिया हो तो दरिया जैसा दिखना है।
आज का सूरज डूब गया तो डूब गया,
आने वाले कल का स्वागत करना है।
हमम र जायें खाली हाथ ये कैसे हो,
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर मरना है।
</poem>
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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
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क्या अच्छा, क्या बुरा सफ़र है चलना है।
मिलें फूल या मिलें शूल क्या कहना है।
अपनी ताक़त को पहचानो शान्त रहो,
दरिया हो तो दरिया जैसा दिखना है।
आज का सूरज डूब गया तो डूब गया,
आने वाले कल का स्वागत करना है।
हमम र जायें खाली हाथ ये कैसे हो,
बड़ी-बड़ी उम्मीदें लेकर मरना है।
</poem>