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रम्भोधरध्वनिभिराशु रथैरसंख्यैः ।
पद्गैश्च भीषणतरैधृतखड्गचापै-
र्नियान्ति राजगतयः सहसैन्यपालाः ।।३।।।।३३।।
रुध्वा चतुर्द्दिशमतीव बलैः प्रगल्भैः
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