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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=उजाले का सफर / डी. एम. मिश्र
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<poem>
श्वास जब तक सुर तभी तक मीत मेरे।
तुम न होगे तो न होंगे गीत मेरे।

फिर बचेगा क्या हमारी ज़ि़ंदगी में,
प्यार के दो पल गये यदि बीत मेरे।

हारने को अब हमारे पास क्या,
प्राण तक तो तुम लिये हो जीत मेरे।

यह तुम्हारे प्यार की ही देन है,
धड़कनों में जो बजे संगीत मेरे।
</poem>
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