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|रचनाकार=प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'
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}}
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<poem>
बता भूईयाँ के भगवान कोन।
धरती के मितान कोन।
जेहर नई करे गुमान,
दो या ना दो सनमान।
घाम,पानी अऊ जाड़ म,
करत रहिथे जेहर काम।
ओहर भूईयाँ के भगवान ऐ।
धरती के मितान ऐ।
ऐ खेत -खलियान बर,
मजदूर किसान हर।
लड़ गे देख तो जिनगी भर,
भूईयाँ के सनमान बर।
ओहर भूईयाँ के भगवान ऐ।
धरती के किसान ऐ।
</poem>
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बता भूईयाँ के भगवान कोन।
धरती के मितान कोन।
जेहर नई करे गुमान,
दो या ना दो सनमान।
घाम,पानी अऊ जाड़ म,
करत रहिथे जेहर काम।
ओहर भूईयाँ के भगवान ऐ।
धरती के मितान ऐ।
ऐ खेत -खलियान बर,
मजदूर किसान हर।
लड़ गे देख तो जिनगी भर,
भूईयाँ के सनमान बर।
ओहर भूईयाँ के भगवान ऐ।
धरती के किसान ऐ।
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