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सन्नाटा / अर्चना कुमारी

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|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
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<poem>
सारी दुनिया लिखने वाला
नहीं लिख पाता अपनी ही कहानी
तमाम लफ़्ज़ों को बहलाता
खुद को झुठलाता
एक वही जानता है
कि वो जो लिख नहीं सकता कभी
वही सच है...
अपनी कहानियों के नाम
सन्नाटे गूंजते हैं।
</poem>
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