भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुदगुदी / अर्चना कुमारी

1,516 bytes added, 13:04, 27 अगस्त 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह=प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
प्रेम के पेट में
पांव से गुदगुदी करने पर
देह में भरती है झुरझुरी

आत्मा भरकर झुनझुनी से
झटकती है जकडऩ भरे सवाल
प्यास और भूख की

होंठ का सूखापन जीभ भिगोती है
आंखों की सफेदी लाल होकर
तपाकर खोलती है बंधन रोम-रोम के

अवश हाथ गर्दनों तक जाकर
देह पर देह झुकाते हैं
गाल गुदगुदाते हैं

रुह का अनछुआपन
देह की छुअन से परे
टोहता है
अपने हिस्से की ऊंगलियां
गुदगुदाहट वाली

प्रेम को दिखती हैं
सरसराती फिसलती ऊंगलियां
वह पांव समेटकर
रुह के तल पर ढूंढती हैं
निशान नर्म कोमल ऊष्ण स्पर्श के।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits