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|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
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<poem>
बीमार पति
और नन्हें बच्चे
कमलिया का बुरा हाल
ठाकुर के कोल्हू में
पिस गया
बायाँ हाथ

मुआवजा
तो दूर
मजदूरी भी
छिन गयी

जीवन भर
ठाकुर के
खेत में
खपा करमू
टूटा तो
कोई नहीं
दवा का
न दया का

अब आये दिन
तवा
रह जाता ठंडा
</poem>
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