भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
वासना के
ज्वलनशील
बारूद पर
बैठी बेचारी
एक नारी
अभिशप्त जीवन का
पर्याय बन गयी
पुरूषों के
दोहरे मापदण्डों
और नीतियों की
छली बेबस
बाहर से
रंगी-पुती
सजी-सँवरी
भीतर से
जर्जर और खोखली
यानी एक तरफ
मॉ-बहन-बेटी
आदर सूचक शब्द
तो दूसरी तरफ
अभद्र गालियाँ भी
इसीलिए
पराश्रिता
ढूँढती है
पुख्ता और सुनिश्चित
चहारदीवारी
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=इज़्ज़तपुरम् / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
वासना के
ज्वलनशील
बारूद पर
बैठी बेचारी
एक नारी
अभिशप्त जीवन का
पर्याय बन गयी
पुरूषों के
दोहरे मापदण्डों
और नीतियों की
छली बेबस
बाहर से
रंगी-पुती
सजी-सँवरी
भीतर से
जर्जर और खोखली
यानी एक तरफ
मॉ-बहन-बेटी
आदर सूचक शब्द
तो दूसरी तरफ
अभद्र गालियाँ भी
इसीलिए
पराश्रिता
ढूँढती है
पुख्ता और सुनिश्चित
चहारदीवारी
</poem>