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इज़्ज़तपुरम्-77 / डी. एम. मिश्र

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<poem>
नशीले व्यसनों के
गूँजते छल्लों में

अफीम / ब्राउनसूगर
रम-व्हिसकी के
छलछलाते पैगों में

विषयी अंगों के
बहुकोणीय
वीभत्स प्रदर्शनों में

चिलचिलाते जलवे
कैबरे-पॉप-रॉक
डिस्को-मसाज
निर्वसन हंगामों में
अभिजात्य संस्कृति
झूम रही


सनक में
कीट पतंगे / जैसे
दौड़ रहे लोग
चमक पर अंधाधुंध
</poem>
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