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{{KKRachna
|रचनाकार=नील्स फर्लिन
|संग्रह=
}}
<Poem>
इंसान उन्हें गिन ही नहीं सकता
जैसा कि हमने सुन रखा है...
ऐसा कहा जाता है-- टूटता है हर बार एक तारा
जब भी इंसान मरता है--
रात्रि की ठंडक और
जमी हुई ठंडी हवाओं के बीच स्पंदित होते
मैंने कुत्तों का भौंकना सुना है,
वैसे ही जैसे वो अक्सर भौंकते हैं,
विधवाओं को मैंने विलाप करते हुए सुना है
और बच्चों को भी रोटी के लिए रोते चिल्लाते हुए--
--सितारे भी ऐसे ही निपटते हैं
किसी के जन्म अथवा मृत्यु से.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
</poem>
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|रचनाकार=नील्स फर्लिन
|संग्रह=
}}
<Poem>
इंसान उन्हें गिन ही नहीं सकता
जैसा कि हमने सुन रखा है...
ऐसा कहा जाता है-- टूटता है हर बार एक तारा
जब भी इंसान मरता है--
रात्रि की ठंडक और
जमी हुई ठंडी हवाओं के बीच स्पंदित होते
मैंने कुत्तों का भौंकना सुना है,
वैसे ही जैसे वो अक्सर भौंकते हैं,
विधवाओं को मैंने विलाप करते हुए सुना है
और बच्चों को भी रोटी के लिए रोते चिल्लाते हुए--
--सितारे भी ऐसे ही निपटते हैं
किसी के जन्म अथवा मृत्यु से.
'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
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