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{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश चंद्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
वक्तसाज़ उम्र
अगले मोड़ रुकना
कितना पीछे रह गयीं
साँस-साँस बोझिल हसरतें
सुस्त-क़दम बेपरवाह वादे,
हाँफती उम्मीद से पुकारते हैं
तेज़ रफ़्तार में छिटक कर गिरा
अधूरापन, ऊंची आवाज़ देता है
साथ जो था सपनों का सौदागर
छोड़ता ही नहीं भरकम गठरी अपनी
ये सभी पुराने साथी ठहरे
ज़रा तो मोहलत दे,
इक दफ़ा तो फिर,
इनकी सोहबत दे
वक्तसाज़ उम्र
अगले मोड़ रुकना
</poem>
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|रचनाकार=सुरेश चंद्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
वक्तसाज़ उम्र
अगले मोड़ रुकना
कितना पीछे रह गयीं
साँस-साँस बोझिल हसरतें
सुस्त-क़दम बेपरवाह वादे,
हाँफती उम्मीद से पुकारते हैं
तेज़ रफ़्तार में छिटक कर गिरा
अधूरापन, ऊंची आवाज़ देता है
साथ जो था सपनों का सौदागर
छोड़ता ही नहीं भरकम गठरी अपनी
ये सभी पुराने साथी ठहरे
ज़रा तो मोहलत दे,
इक दफ़ा तो फिर,
इनकी सोहबत दे
वक्तसाज़ उम्र
अगले मोड़ रुकना
</poem>