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मेरो देश / दिलिप योन्जन

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<poem>

गाँउ सहर डाँडा पाखा बरै रगतको गन्ध
देशै जलाइ तराई पाहाड कति गर्छौ बन्ध।

सबै मिली देश बनाउ छैन कसैलाइ पिर
पालै पालो बम पडकाई देशकै छाती चिर
दाजु भाई दिदी बहिनी सबै भए दुस्मन
जनता मारी नेता बन्नेले गरे देशमा सासन।

शहिदको छोरा छोरीलाई कस्ले दिने गाँस बास
लडेका छन तछाड मछाड बनाई देशलाई बरबाद
कहिले हास्ने नेपाली नेपाली तोडी सबै जन्जाल
कहिले बन्ने मेरो देश शुन्दर सान्त नेपाल।

</poem>
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