भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्योत्स्ना शर्मा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज्योत्स्ना शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
सुघड़ बाला
ले हाथों में दीपक
बाला, सँभाला।
2
संध्या डुबोए
सागर के जल में
स्वर्ण कटोरा।
3
सुनो तो ज़रा
दिल ही तो सुनता
दिल का कहा।
4
हैं अनमोल
ज़ख़्मों को भर देते
दो मीठे बोल।
5
उधड़ी मिली
रिश्तों की तुरपन
गई न सिली।
6
फाँस थी चुभी
मुट्ठी में अँगुलियाँ
बँधी न कभी।
7
अरी तन्हाई!
शुक्रिया संग मेरे
तू चली आई.
8
करूँ जतन
बुझे मन की तृष्णा
मिटे तपन।
9
व्याकुल मन
तेरी ओर ताके हैं
मेरे नयन।
10
कब आओगे
तड़पाए चाहत
भरे जलन।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ज्योत्स्ना शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
सुघड़ बाला
ले हाथों में दीपक
बाला, सँभाला।
2
संध्या डुबोए
सागर के जल में
स्वर्ण कटोरा।
3
सुनो तो ज़रा
दिल ही तो सुनता
दिल का कहा।
4
हैं अनमोल
ज़ख़्मों को भर देते
दो मीठे बोल।
5
उधड़ी मिली
रिश्तों की तुरपन
गई न सिली।
6
फाँस थी चुभी
मुट्ठी में अँगुलियाँ
बँधी न कभी।
7
अरी तन्हाई!
शुक्रिया संग मेरे
तू चली आई.
8
करूँ जतन
बुझे मन की तृष्णा
मिटे तपन।
9
व्याकुल मन
तेरी ओर ताके हैं
मेरे नयन।
10
कब आओगे
तड़पाए चाहत
भरे जलन।
</poem>