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[[Category: सेदोका]]
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11छुपा है चाँदआँचल में घटा केहुई व्याकुल रातकहे किससेअब दिल की बातगिरे ओस के आँसू।12उमग पड़ी,खुशबू की सरितापुलकित शिराएँ।'नहीं छोड़ेंगे'-कहा जब उसने,थी महकीं दिशाएँ।13लहरा गयासुरभित आँचल,धारा बनकरकेबहे धरा पेसुरभित वचन;महका था गगन।14बीता जीवनकभी घने बीहड़कभी किसी बस्ती मेंकाँटे भी सहेकभी फ़ाक़े भी किएपर रहे मस्ती में।15तुमसे कभीनेह का प्रतिदानमाँगूँ तो टोक देनाफ़ितरत है-भला करूँ सबकाबुरा हो रोक देना।
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