भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
688 bytes added,
11:56, 10 मार्च 2018
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
चला फुलारी फूलों कोप्रीत सी कुंगली डोर सी छिन येसौदा-सौदा फूल बिरौलापर्वत जन कठोर भी छिन येहमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारीहे जी सार्यूं बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2बिन्सिरी बीटी धान्यु मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ीलगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२मैं घौर छोड्यावाकरम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिनहे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालो बसंतपुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारीमैं घौर छोड्यावाबेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२हे जी सार्यूं बरखा बतोन्युन बन मा फूलीगे ह्वोलिरुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणीचला फुलारी फूलों कोफिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिनसौदाकाम का बोझ की मारी बेटी ब्वारीबेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-सौदा फूल बिरौला२भौंरों खैरी का जूठा फूल ना तोड्यांम्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ ना उनु धरम्यालु आगासआंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2ना उनि मयालू यखै धरतीअजाण औंखा सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन पैंडाआस लगीं चामनखी अणमील चौतर्फीयूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारीछि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त राबेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२मैं घौर छोड्यावाहे जी सार्यूं दुःख बीमारी मा फूलीगे ह्वोलिभी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजालीफुल फुलदेई दाल चौंल देयुन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारीघोघा देवा फ्योंल्या फूलघोघा फूलदेई बेटी ब्वारी पहाडू की डोली सजलीबेटी ब्वारी-२गुड़ परसाद दै दूध भत्यूलप्रीत सी कुंगली डोर सी छिन येपर्वत जन कठोर भी छिन येअयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मापहाडू की नारी.. बेटी ब्वारीहोला चैती पसरू मांगना औजी खोला खोलो माढक्यां मोर द्वार देखिकी फुलारी खौल्यां होला।बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
</poem>
Mover, Reupload, Uploader