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{{KKRachna
|रचनाकार=[[दुष्यन्त जोशी]]
|अनुवादक=
|संग्रह=कठै गई बा'... / दुष्यन्त जोशी
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कई मिनख
जद मिलै
दूजै मिनखां सूं
तद
बाथां में
भींच'र
आपरौ
प्रेम दरसावै
मीठी-मीठी करै बातां
अर पछै
राफां ढीली करता
आपरै राह लाग ज्यावै
कित्तौ चोखौ लागै
पण
आखै जग में
भांत-भांत रा
मिनखां बिचाळै
कई मिनख
खुद रौ
दरद लुकोय'र
दूजां नै
मुळकान दिखावै
कित्तौ ओखौ है
खाली आ' कुहावणौ
कै
मिनख
भौत चोखौ है।
</poem>
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कई मिनख
जद मिलै
दूजै मिनखां सूं
तद
बाथां में
भींच'र
आपरौ
प्रेम दरसावै
मीठी-मीठी करै बातां
अर पछै
राफां ढीली करता
आपरै राह लाग ज्यावै
कित्तौ चोखौ लागै
पण
आखै जग में
भांत-भांत रा
मिनखां बिचाळै
कई मिनख
खुद रौ
दरद लुकोय'र
दूजां नै
मुळकान दिखावै
कित्तौ ओखौ है
खाली आ' कुहावणौ
कै
मिनख
भौत चोखौ है।
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