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सनातन: 2 / मीठेश निर्मोही

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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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<poem>
पाकयां
पीळा पड़ै पान
झड़ै धूड़ मिळै
पण बिछड़यां
नातौ कद तोड़ै
खात रै मिस
जड़ां में
पाछा भिळै।
</poem>
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