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{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सोनचिड़ी रै सुगनां
दिसावर गयौ
किसनौ कुंभार
आपरै गधां सागै
लापता है।
उणनै उडीकतौ-उडीकतौ
मरग्यौ है
उणरौ अधगावळौ बाप।
चित्त बायारै व्हियां
डीकरौ
उणरौ
नित्त-हमेस
सूरज री उगाळी
उडीकै है उणनै।
इण आस रै जोह
के
सोनचिड़ी रा सुगन
सपनै ई
माड़ा नीं व्है।
</poem>
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|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
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|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
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सोनचिड़ी रै सुगनां
दिसावर गयौ
किसनौ कुंभार
आपरै गधां सागै
लापता है।
उणनै उडीकतौ-उडीकतौ
मरग्यौ है
उणरौ अधगावळौ बाप।
चित्त बायारै व्हियां
डीकरौ
उणरौ
नित्त-हमेस
सूरज री उगाळी
उडीकै है उणनै।
इण आस रै जोह
के
सोनचिड़ी रा सुगन
सपनै ई
माड़ा नीं व्है।
</poem>