भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रूंख अर मिनख / ॠतुप्रिया

729 bytes added, 15:19, 3 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]] |अनुवादक= |संग्रह=ठा’...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
थूं कांईं करै आज
निरजळा ग्यारस रै दिन

तीसै मिनखां नै
पाणी क्यूं नीं पावै

अठै रूंखां में
पाणी ढोळ’र
आपरी बावळ क्यंू खिंडावै

बा’ बोली-
रूंख है
तद मिनख है
अर मिनख है
तद रूंख।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits