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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>
सावधानी राखो
इयां ना करो, बियां नीं करणो
खतरो है च्यारूंमेर
अणसैंधा लोगां सूं सावधान
लावारिस वस्तुआं सूं सावचेत
सजग रैवो, अबखो टैम है
घिर रैया है साजिशां रा बादळिया
षडय़ंत्रां रै घटाटोप में
वजूद मिट जावण रो
लूंठो खतरो है
मुळक रै लारै
खंजर है
मीठै बोलां में विस है
सावधान रैवो, सचेत रैवो
बै सतर्क लोग बांट रैया है
अणविस्वास
टीवी, रेटियो, भौंपूआं माथै
लिख रैया है—
नेह विहूणी जूण रो इतिहास
निभावता सावधानी सूं
आपरो फरज
बणा रैया है मिनख नैं दूजै मिनख सारू
फगत अेक खतरो
जींवतो-जागतो खतरो।
</poem>
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