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Kavita Kosh से
मानोशी
,*[[गीत फिर मैं लिख रही हूँ / मानोशी]]
*[[दोपहर की धूप में हम / मानोशी]]
*[[बहुत सुन्दर है हमारा कल यकीनन /मानोशी]]
*[[शीश झुका कर ज्यों रोये हैं / मानोशी]]