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<poem>
ओ बाबा थारी बकरयां
बिदाम खावै रै
अे चरगी म्हारा खेत
सरेआम खावै रै
बाबा थारी बकरयां बिदाम खावै रै।

कीड़ी नगरै नगर बसायो
ढोल दिया ढमकाय
राजा हुकम दियो हाकम नै
घर-घर लागी लाय
धरम करम रा कमधजिया
हराम खावै रै
बाबा थारी बकरयां बिदाम खावै रै

भूखी भेड़ भचीड़ा खासी
चोर भखारी भरसी रै
गोधा चरसी खड़ै खेत नै
गाय अखोरा करसी रै
मिनख-मारणी काळचिड़यां
गोदाम खावै रै
बाबा थारी बकर्यां बिदाम खावै रै

मन माटी रा तन सोने रा
मिनखा-बरणी सार
चोपड़ रमणी जूण मिनख री
गई मिनख नै हार
गांव रूखाळा बासी मूूंडै
राम खावै रै
बाबा थारी बकरयां बिदाम खावै रै
सुण, धण, बात कातली पूणी
डोरै नै मत तांण
न्याय रो माथो मतकर नीचो
देख ताकड़ी काण
सांची बात बतावणिया तो
डाम खावै रै
बाबा
थारी बकरयां बिदाम खावै रै।।
</poem>
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