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<poem>
म्है धरती रा लाडेसर हां
नांव है म्हारो भारती
मीठा गीत मिलण रा गावां
जगत उतारै आरती।।

समता रा सिरमोर जगत में
जनतन्तर रा हामी हां
मिजमानी मिनखाचारै री
आखै जग में नामी हां
धन-धन म्हारै संस्कार नै
सगळा धरम सरीसा है।

रणबंका नर-नार सती
निज धरा धरम नै धारणियां
निछरावळ कर दै प्राणां री
जीवन धन नै वारणियां
समय परखसी आं बचनां नै
सांची कोर जरी सा है।।

मन रा मोम बोल में मीठा
मोल करयां लाखीणा है।
फणधर घाल गळै में घूमै
अे शारद री वीणा है
सोरम च्यारूं मेर फैलसी
कंवळा कमल सरीसा है।।

सुख रै सरवर पांख पंखेरू
हरियल रूंखां आळा है
बागां बेल फळै फळ लागै
पवन गळै गळ माळा है
माळी रो मन माळी जाणै
च्यारूं वरण हरीसा है।
</poem>
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