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|संग्रह=अंतस तास / मोहम्मद सद्दीक
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<poem>
डर सूं डर मत बांथ में भर लै
भागै लो डर आप रै
हक रो हाथ पकड़, पालै कुण
पालै जद दे थाप रै

अकथ घणी थोड़ी सी जांणूं
मिनख जूण रा सिरजणहार
दिन-दिन मोल गिरै मिनखां रो
मिनख मिलै रूपिये रा च्यार
सदा सुरंगी मिनख-जूण पर
अमिट लगा ली छाप रै
डर सूं डर मत, बांथ में भर लै दृ

जूण जुवै रै हेट ठेठ सूं
लाम्बी मजल मजूरां री
डीगा डग धर चाल तावळो
माटी छेत हजूरां री
खेत री रेत रतन निपजैला
इण धरती पर आप रै
डर सूं डर मत, बांथ में भरलै ....
</poem>
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