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'''कवि भगत व्यापारी, भुखे भाव के होते,
'''दिल मुड़ते नहीं टुटज्यां, पक्के ताव के होते ।। टेक ।। '''
विद्या चतुर पुरुष पढ़ता है, प्रेमी मिले प्रेम बढ़ता है,
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