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मा (सात) / राजेन्द्र जोशी

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|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
कदैई नीं गई पढण नै स्कूल
पढी कोनी कोई पोथी
आपरै जमानै री टैम मा।

करा दीनो म्हारो अेडमिसन
भर दीनो स्कूल रो फारम
भर दीनी म्हारी फीस
पापा री फोटू रै साम्हीं
लगा दीनी म्हारी क्लास
खुद बणगी मास्टरणी म्हारी मा।

आपरै जमानै नै लारै छोडती
आज रै टैम रै सागै चालती
लै लीनो हाथां सूं म्हारो नाप
कर दीनी सिलाई जींस पेंट री
फिटोफिट बणाय दीनो कुरतो।

म्हारै गाभां नै दोनूं टैम धोवती
आपरै छाला पड़्योड़ै हाथां सूं
कर देंवती बूटां रै पालिस
आपरी धोती रै पल्लै सूं।
आपरै हाथां सूं बणायोड़ै
बस्तै सूं पढा दीनो फस्र्ट क्लास
बिना चूल्है ई, बिना आटै ई
नीं जाणूं कियां भर दीनो म्हारो पेट
आपरी जवानी नै पसरावती
बणा दीनो म्हनै जवान
म्हारी मा, म्हारी आपरी मा।
</poem>
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