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|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|अनुवादक=
|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
म्हनै घणो अचरज हुवै
आं दिनां बै दिल्ली रो मारग पूछै
हिंदी अर अंगरेजी रा पैलवान
दिल्ली मांय भेळा करै सूरमावां नै
अर सरकार री दुकानां रा गेड़ा काटै।
कैड़ौ जमानो आयग्यो
खुद रो माल नीं बिकै
नीं मिळै उणां नै खरीददार
अमरनाथ-राहुलदेव आपरै गाडै मांय
बिकतै माल रो आदेस
कैंसल करावण खातर
मारग पूछै सरकार रो दिल्ली मांय।
नीं जकां री आपरी ओळखाण
जोड़-तोड़ कर भेळा कर्या हा मिनख
कळकत्तै, लखनऊ अर बीजी ठौड़ां सूं
अंगरेज बणियां अर हिंदी री दुकान माथै।
उमर-भर टुकड़ तोड़्या हा
राजस्थानी रै सिरदारां रा
रीं-रीं करता प्रोफेसर बण्या
मीठै मिनखां भेळै रैवता थकां ई
नीं हुय सक्या मीठा।
बो दिन ठीक हो
म्हैं अर्जुन कनै हो
सरकार री सहमती रो प्रमाण मांग्यो
नीं देय सक्यो
अमरनाथ-राहुलदेव
झूठा हा उणां रा बोल अर बातां।
गया हा गृहमंत्री कनै
राजस्थानी मानता नै रोकण नै
ठा पडग़ी अर्जुन री संसद मांय
मधु अर मीठेस ई म्हारै भेळा हा
बारहठ अर आसिया जागता हा
म्हारा व्हाला
उडिय़ा भासा रा लिखारा ई म्हारै साथै हा।
जद म्हे परकमा करी मा करणी री
आखै भारत रा राजस्थानियां
दे दीनो परसाद गरमागरम
अमरनाथ अर राहुलदेव नै।
बतावो, थे कुण हो?
म्हारी मा री मानता नै रोकण आळा
दस करोड़ बेटा-बेटी हां
म्हारी मा रा
म्हे सुणाय दीनो अबै थांनै
सुणी लीजो
हिंदी रो चोळो ओढ्योड़ा
अंगरेजी रा हिमायत्यां!
बो दिन याद रैवैला
घेर लीनो हो बां दुकानदारां नै
जिका म्हारी मा रो प्रमाण मांगता
कठै है म्हारी मा, नीं जाणता हा बै।
म्हारी मा री ओळखाण
मा रै करमां सूं है
म्हारी मा रा लाडेसर
जगन्नाथ रा बेटा ई भेळा हा म्हारै
अबै चालण लाग्यो राजस्थानी रो
सबद-कीरतन
जगन्नाथ रै बेटां रै मूंढै।
लोक रो संगीत हो
अर सीमात री खेवट री धुन!
पीड़ ही म्हारी मा री मानता रै
जगन्नाथ रै बेटां रै काळजै
कैवण लाग्या
जगन्नाथ री सौगन
अेकला नीं समझै राजस्थानी नै
दुनिया री नामचीन मीठी भासा है
म्हे इसड़ी भासा नै सरधा सूं सीस निवावां।
सुण लीजै अमरनाथ-राहुलदेव
म्हारी मा जूनी है, बूढी मा है
नीं मरै बा, उण रौ धणी अर बेटा
अखंड सौभागवती है म्हारी मा
हरेक देस मांय, घर-घर मांय
राज करै अर सागै रैवै म्हां भेळी म्हारी मा।
</poem>
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म्हनै घणो अचरज हुवै
आं दिनां बै दिल्ली रो मारग पूछै
हिंदी अर अंगरेजी रा पैलवान
दिल्ली मांय भेळा करै सूरमावां नै
अर सरकार री दुकानां रा गेड़ा काटै।
कैड़ौ जमानो आयग्यो
खुद रो माल नीं बिकै
नीं मिळै उणां नै खरीददार
अमरनाथ-राहुलदेव आपरै गाडै मांय
बिकतै माल रो आदेस
कैंसल करावण खातर
मारग पूछै सरकार रो दिल्ली मांय।
नीं जकां री आपरी ओळखाण
जोड़-तोड़ कर भेळा कर्या हा मिनख
कळकत्तै, लखनऊ अर बीजी ठौड़ां सूं
अंगरेज बणियां अर हिंदी री दुकान माथै।
उमर-भर टुकड़ तोड़्या हा
राजस्थानी रै सिरदारां रा
रीं-रीं करता प्रोफेसर बण्या
मीठै मिनखां भेळै रैवता थकां ई
नीं हुय सक्या मीठा।
बो दिन ठीक हो
म्हैं अर्जुन कनै हो
सरकार री सहमती रो प्रमाण मांग्यो
नीं देय सक्यो
अमरनाथ-राहुलदेव
झूठा हा उणां रा बोल अर बातां।
गया हा गृहमंत्री कनै
राजस्थानी मानता नै रोकण नै
ठा पडग़ी अर्जुन री संसद मांय
मधु अर मीठेस ई म्हारै भेळा हा
बारहठ अर आसिया जागता हा
म्हारा व्हाला
उडिय़ा भासा रा लिखारा ई म्हारै साथै हा।
जद म्हे परकमा करी मा करणी री
आखै भारत रा राजस्थानियां
दे दीनो परसाद गरमागरम
अमरनाथ अर राहुलदेव नै।
बतावो, थे कुण हो?
म्हारी मा री मानता नै रोकण आळा
दस करोड़ बेटा-बेटी हां
म्हारी मा रा
म्हे सुणाय दीनो अबै थांनै
सुणी लीजो
हिंदी रो चोळो ओढ्योड़ा
अंगरेजी रा हिमायत्यां!
बो दिन याद रैवैला
घेर लीनो हो बां दुकानदारां नै
जिका म्हारी मा रो प्रमाण मांगता
कठै है म्हारी मा, नीं जाणता हा बै।
म्हारी मा री ओळखाण
मा रै करमां सूं है
म्हारी मा रा लाडेसर
जगन्नाथ रा बेटा ई भेळा हा म्हारै
अबै चालण लाग्यो राजस्थानी रो
सबद-कीरतन
जगन्नाथ रै बेटां रै मूंढै।
लोक रो संगीत हो
अर सीमात री खेवट री धुन!
पीड़ ही म्हारी मा री मानता रै
जगन्नाथ रै बेटां रै काळजै
कैवण लाग्या
जगन्नाथ री सौगन
अेकला नीं समझै राजस्थानी नै
दुनिया री नामचीन मीठी भासा है
म्हे इसड़ी भासा नै सरधा सूं सीस निवावां।
सुण लीजै अमरनाथ-राहुलदेव
म्हारी मा जूनी है, बूढी मा है
नीं मरै बा, उण रौ धणी अर बेटा
अखंड सौभागवती है म्हारी मा
हरेक देस मांय, घर-घर मांय
राज करै अर सागै रैवै म्हां भेळी म्हारी मा।
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