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|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
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<poem>
थूं जगत में
जगत थारै मांय
पंचतत्व थूं
{{KKBR}}
रचनाकार
अेक देही सूं जी लै
घणा जीमण
{{KKBR}}
सीप्यां आप रो
काळजो चिरवावै
मोती जनमें
</poem>
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थूं जगत में
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पंचतत्व थूं
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रचनाकार
अेक देही सूं जी लै
घणा जीमण
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सीप्यां आप रो
काळजो चिरवावै
मोती जनमें
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