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|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatHaiku}}
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<poem>
हर नारी में
बसी है सै देवियां
जै पैछाणां तो
{{KKBR}}
घर घर में
मिलै है उग्रसेन
पूतां रै पाण
{{KKBR}}
लुगाई तो है
सावण री बादळी
झुरै‘र झुरै
</poem>
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हर नारी में
बसी है सै देवियां
जै पैछाणां तो
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घर घर में
मिलै है उग्रसेन
पूतां रै पाण
{{KKBR}}
लुगाई तो है
सावण री बादळी
झुरै‘र झुरै
</poem>