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जिसमें लिखा है, नौजवानों के लहु का मोल है
प्रत्यय किसी बूढे, कुटिल नीतिज्ञ के व्याहार का;
जिसका हृदय उतना मलिन जितना कि शीर्ष वलक्ष <ref>श्वेत, धवल, दीप्त<ref> है;
जो आप तो लड़ता नहीं,
कटवा किशोरों को मगर,
[[कुरुक्षेत्र / प्रथम सर्ग / भाग 2|अगला भाग >>]]
</poem>
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