भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKCatGhazal}} <poem> माँ यशोदा का जो दुलारा था कम नहीं देवकी को...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKCatGhazal}}
<poem>
माँ यशोदा का जो दुलारा था
कम नहीं देवकी को प्यारा था

गोपियाँ, ग्वाल-बाल और गौवें
कृष्ण आँखों का सब की तारा था

दे दिया सब बग़ैर मांगे ही
घर सुदामा का यूँ संवारा था

पादुका छोड़ कर चले आए
द्रौपदी ने जहां पुकारा था

ज्ञान गीता का दे के अर्जुन को
मोह के गर्त से उबारा था

अन्ततः हो गया महाभारत
धर्म जीता, अधर्म हारा था

कौरवों के 'रक़ीब' अर्जुन को
द्वारिकाधीश का सहारा था
</poem>
384
edits