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तमन्नाओ के बहलावे में अक्सर आ ही जाते हैं
कभी हम चोट खाते हैं, कभी हम मुस्कुराते हैं

हम अक्सर दोस्तों की बेवफ़ाई सह तो लेते हैं
मगर हम जानते है, दिल हमारे टूट जाते हैं

किसी के साथ जब बीते हुए लम्हों की याद आई
थकी आखों में अश्को के सितारे झिलमिलाते हैं

ये कैसा इश्तियाक़-ए-दीद है और कैसी मजबूरी
किसी की बज़्म तक जा जा के हम क्युँ लौट आते हैं

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