भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनु जसरोटिया |अनुवादक= |संग्रह=ख़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तेरी सुहबत में खुश रहना, तेरी फुर्क़़त में खु़श रहना
हमें भी आ गया है अब तो हर हालत में खु़श रहना

ये आसूं तो बहेंगे ही इन्हें झुठला नहीं सकते
सिखा देंगे हमें हर दुख में हर हालत में ख़ुश रहना

तो मेरी ज़िन्दगी फिर क्यों न गुज़रे शादमानी में
लिखा है क़ातिबे-तक़दीर ने क़िस्मत में ख़ुश रहना

हुजूमे-ग़म को भी हमने मुसर्रत ही से झेला है
सिखाया वक़त ने हम को हर इक सूरत में ख़़ुश रहना

न ख़ुश रहता है अज़मत में, न ख़ुश है शानो-ओ-शौकत में
हमारे दिल को आता है तेरी कर्बत3 में ख़़्ाुश रहना

तू अपने घर को जाती है तो सुन ले ऐ मिरी बेटी
बहाँ छोटों बड़ों, हर एक की ख़िदमत में ख़़ुश रहना
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits