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|रचनाकार=जंगवीर स‍िंंह 'राकेश'
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<poem>
तुम्हारी आँख से छलका है आँसू
हमारी साँस में अटका है आँसू

तुझे महशर बताया जाए लड़की
तेरे हर दाँव का इक्का है आँसू

ख़िज़ा का फूल झड़ जाता है जैसे
हमारी आँख से झड़ता है आँसू

हक़ीक़त-दर-हक़ीक़त ज‍ानता हूँ
तुम्हारे ढोंग का परदा है आँसू

जबीं पर ये पसीने की हिदायत
मुझे कहती है इक धोका है आँसू

हमीं ने रोक रक्खा है, वगरना !
हमारे हिज्र का दरया है आँसू

हथेली पर मिरी गिरता है छन से
म'आने सीने में जलता है आँसू
</poem>
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