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आब<ref>पानी</ref> की शय में बदलना है तुझे
इज़्तिराब-ए-ग़म<ref>ग़म की चिंंता<ref/ref> नहीं करना है अब
जीना है ख़ुद के लिए जीना है अब
दास्तान-ए-दिल सुनाए भी तो क्या?
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