भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> ठहरा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}

<poem>
ठहरा पानी हिलाता है कोई
बुलबुले बुदबुदाता है कोई

मैं तो ख़ामोश हूँ मगर मुझमें
शोर कब से मचाता है कोई

या'नी ये दिल हुआ है दरवाजा
आता है कोई, जाता है कोई

आरिज़ों पर ख़ुशी लिए हरदिन,
ग़म का मातम मनाता है कोई!
</poem>
761
edits