भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विनय सौरभ |संग्रह= }} {{KKCatK avita}} <poem> एक घ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= विनय सौरभ
|संग्रह=
}}
{{KKCatK
avita}}
<poem>
एक घर था
जिसे एक रोज छूट जाना था
पता भी न हुआ हमें
और देखते ही देखते बदल गयी
उसके भीतर की हवा
हाथ जो खोलते थे प्रतीक्षा में
सामने का दरवाजा
कहाँ गये......?
एक चौकी थी
एक कुर्सी
एक रसोईघर
एक बरामदा
एक छज्जा बचपन की किताबों
और पुरानी गठरियों से भरा
मेरे बैठने की जगह पर अब धूल थी
और सामने एक परदा था
और उसके पीछे स्मृतियाँ थी.....
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार= विनय सौरभ
|संग्रह=
}}
{{KKCatK
avita}}
<poem>
एक घर था
जिसे एक रोज छूट जाना था
पता भी न हुआ हमें
और देखते ही देखते बदल गयी
उसके भीतर की हवा
हाथ जो खोलते थे प्रतीक्षा में
सामने का दरवाजा
कहाँ गये......?
एक चौकी थी
एक कुर्सी
एक रसोईघर
एक बरामदा
एक छज्जा बचपन की किताबों
और पुरानी गठरियों से भरा
मेरे बैठने की जगह पर अब धूल थी
और सामने एक परदा था
और उसके पीछे स्मृतियाँ थी.....
</poem>