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Kavita Kosh से
यह सबसे अच्छा है ! वंडरफुल !
-इसे तो आप ख़रीद ही लें !
एक साबुन की झाग में अर्धनग्न एश्वर्य राय ने पुलक में भरकर कहा
एक जूते से पूरे विवस्त्र शरीर को कलात्मक ढंग से ढँकते हुए मधु सप्रे की आँखों में आवारगी और आमंत्रण था -
यही लीजिए, मेरी तरफ तरह टिकाऊ खूबसूरत और मजेदार !
गर्दन उरोजों और सुडौल टाँगों पर उंगलियाँ फिराते हुए मिस फेमिना ने मर्दो को बताया - इससे मुलायम और क्या हो सकता है भला !सेविंग के लिए प्लीज यह ब्लेड लीजिए !
पर मेरे बालों की चमक तो देखिए !
एक शैम्पु की दुनिया में अब शोभा डे भी महक रही थीं और उनके भी होंठ उसे खरीद लेने के अनुरोध और उत्तेजना में काँप रहे थे
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जो बाज़ार को घर ले आने की सारी कलाएँ जानती थीं
इनकी उंगलियाँ गीले आटे के एहसास से नवाकिफ़ नावाकिफ़ थीं
इन्हें अपने बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजने की ज़ल्दी में नहीं जीना था और ना ऑफिस जाते पतियों के लिए टिफिन तैयार करना था
ये वो पिलपिली नहीं थीं जिन्हें डॉक्टर के पास , बनिए के पास रोज के सौदा सुलफ़ के लिए जाना था
उनके भीतर निरंतर फैलता हुआ एक इत्मीनान था
रोजमर्रा की चीज़ों के लिए परिचित और लिजलिज़ा अफसोस नहीं
इन्हें सोहर नहीं गाना था , व्रत नहीं रखने थे !
ये छोटी- मोटी अधूरी आकांक्षाओं की मारी स्त्रियाँ नहीं थीं
संभवतः ये चाँद से उतरी थीं और सितारों से मुखातिब थीं
हमारी दुनिया को थोड़ा और बेहतर बनाने के लिए रूमानियत से लबालब पैमाना थीं सुनहरा अवसर थीं - जिसे जिससे हम सब को चुकना नहीं था
यह हमारे घर की स्त्रियों , लड़कियों के लिए सपना थीं
जीवन का मकसद थीं, जिन्हें हर हाल में उन्हें पूरा करना था
ये औरतें एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थीं
जिन्हें काफी संभालकर सावधानी और समझदारी के साथ उतारा गया था सुंदर और खुशहाल बनाने को हमारी दुनिया में .....
अब आपका झूँझलाना झुंझलाना व्यर्थ है !
यह औरतें तब एक महज अनुरोध थीं
तब ये अनुरोध करती औरतें आपके दरवाज़े पर खड़ी थीं
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