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[[Category: ताँका]]
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1'''विश्वास छला'''ईर्ष्या अनल जगीसब ही जलाफूटी आँखों न भायासच्चा प्यार किसी का।2जलाने चलेऔरों के घर- द्वारहजारों बारजीभर वे मुस्काएविद्रूप हुआ रूप।4निर्मलमना !गोमुख के जल-सापावन प्यारसमझेंगे वे कैसेजो नालियों में डूबे?-०-
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