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भीष्म पितामह शरशय्या पर, लेटे, बस, यह साेेच रहे,
उनका क्या गुुुनाह गुनाह था, वे तो, बस, वक़्तों के मारे थे ।
तुमने इनसानों को इनसानों से बेशक बाँट दिया,