भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=
}}
{{KKCatMahilaRachnakaarKKCatKavita}} 
<poem>
 
मुझे देखकर खड़े हँस रहे, विकसित सुन्दर फूल।
करते हो परिहास हास, तरु शाखाओं पर झूल॥
761
edits