भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
भूषण-वसन मन-प्राण,भूख-प्यास हरें ,
चीर - चीर देती धीर चीर के समीर से ।
वचन अशन सम ,जीवन पीयूषपूर्ण;
अधर मधुर रसपूर जनु खीर से ।
हेर-हेर हँसती तो ढेर-ढेर फूल झरे,